बोली लगाने के कुल 41 दावेदारों के नियमित आवेदन को नगर निगम बता रहा धता
बेतिया. नगर निगम के लाखों के राजस्व वाले आधे दर्जन से अधिक सैरातों की बन्दोबस्ती पाने के तीन दर्जन से अधिक दावेदार हैं। बावजूद इसके कार्यकारी सभापति कयूम अंसारी के नगर निगम प्रशासन की सांठगांठ में बड़े पैमाने पर लूट खसोट के लिये बंदोबस्ती प्रक्रिया को महीनों से लटका कर रखा है। इस बीच उनके गुट के अनेक नगर पार्षद व उनके परिजनों के द्वारा कार्यालयकर्मियों की मिली भगत में विभागीय वसूली के नाम पर लाखों की सरकारी राशि का बंदरबांट महीनों से जारी है।
इसका पूरा तिथिवार ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया, पूर्व सभापति जनक साह की पत्नी व नगर पार्षद कुमारी शीला, सशक्त समिति सदस्य शाहनाज खातुन, पूर्व उपसभापति आनंद सिंह की पत्नी व नगर पार्षद सीमा देवी, जरीना सिद्दीकी, कैंसर जहां, शकीला खातून, श्रीमती देवी, मनोज कुमार, प्रभा पांडेय, मधु देवी, रीता रवि, दीपेश सिंह, रोहित कुमार समेत कुल 14 नगर पार्षदगण ने जिलाधिकारी को पूरे ब्यौरे के साथ सौंपे आवेदन में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। आवेदन में पार्षदगण ने यह भी आरोप लगाया है कि विगत 28 दिसंबर 2020 को आहूत नप बोर्ड की विशेष बैठक में तत्कालीन सभापति गरिमा देवी सिकारिया के विरूद्ध लाया गया अविश्वास का प्रस्ताव बहुमत के समर्थन के अभाव में खारिज होने योग्य था, किन्तु उक्त विशेष बैठक की अध्यक्षता कर रहे उप सभापति कयूम अंसारी के द्वारा इसी लूट खसोट और अपने तथा अपने गुट के निजी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु एक अवैध मतपत्र को अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में गिनती कर अविश्वास प्रस्ताव के सफलता की घोषणा करके तत्कालीन सभापति गरिमा देवी सिकारिया को गलत ढंग से पदमुक्त कर स्वयं मुख्य पार्षद के रूप में कार्य करने लगे हैं। इसके बाद के अपने प्रभार के कार्यकाल में उप सभापति द्वारा कतिपय ऐसे निर्णय लिये गये जो नगर पालिका अधिनियम के विरूद्ध हैं। उनके द्वारा अपने गैर कानूनी निर्णयों से अपने पक्ष के पार्षदों को लाभान्वित करने का प्रयास किया गया।अविश्वास प्रस्ताव के सम्बन्ध में लिये गये निर्णय में विवाद माननीय पटना उच्च न्यायालय में लम्बित होने की जानकारी दी गयी है। इसी के साथ इन पार्षदगण यह भी बताया है कि नगर परिषद को प्रतिवर्ष विभिन्न सैरातों की बन्दोबस्ती से करोड़ों की आमदनी होती रही है। वर्ष 2020-21 के लिये जिन सैरातों की बन्दोबस्ती करोड़ों में हुयी थी, विदित हो कि उनमें से दो सैरातों की बन्दोबस्ती ही चालू वर्ष 2021-22 के लिये की गयी है। शेष सैरातों के नाम दर्जनों दावेदारों का विधिवत आवेदन शुल्क 41 डीडी जमा है। इन सैरातों की वसूली केवल कहने के लिए और कागजी तौर पर नगर परिषद/नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। परन्तु हकीकत है कि इन सैरातों की वसूली नगर परिषद के कार्यकारी सभापति मोहम्मद कयूम अंसारी व उनके गुट के पार्षदों द्वारा करके आपस में बंटवारा की जा रही है और नगर निगम को प्रतिदिन लाखों का चूना लगाया जा रहा है। इन पार्षदगण ने आवेदन में बताया है कि सैरातों की बन्दोबस्ती के लिए नगर परिषद की सशक्त स्थायी समिति की दिनांक 18, 23, 31 मार्च 2021 तथा 17, 24 और 28 अप्रैल को बंदोबस्ती के लिये बैठक आयोजित करना निर्धारित की गयी थी परन्तु बन्दोबस्ती नहीं की गई। एक साजिश के तहत सशक्त स्थायी समिति के वर्तमान अध्यक्ष व कार्यकारी सभापति मो.कयूम अंसारी जो नगर परिषद के हैं। 15 मार्च 2021 के बाद से लगातार शेष सैरातों के 41 संवेदकों की विधिवत दावेदारी और उपस्थिति के बावजूद मात्र दो सैरातों की बन्दोबस्ती के बाद शेष की नीलामी एक शाजिस के तहत रोक दी गयी। जिस कारण सैरातों की बन्दोबस्ती नहीं हो सकी और इससे प्राप्त होने वाले राजस्व की वसूली सशक्त स्थायी समिति के अनेक सदस्यों तथा अन्य वार्ड पार्षद प्रतिनिधियों के द्वारा की जा रही है तथा प्राप्त राशि का कुछ अंश नगर परिषद कोष में जमाकर अधिकांश राशि का आपस में बंटवारा कर लिया जा रहा है।
पार्षदगण ने आवेदन में स्पष्ट किया है कि सोवा बाबु चौक स्थित निगम का पार्किंग स्टैण्ड है, परन्तु टेंडर के प्रकाशन के बावजूद संवेदक को पार्किंग के लिए नहीं देकर वहाँ से स्टैण्ड हटाकर एवं उसका अस्तित्व समाप्त कर काफी संख्या में दुकान लगवाकर उनसे विभागीय मोटी राशि की अवैध रूप से वसूली की जा रही है। इसको लेकर आवेदकों ने डीएम से अनुरोध किया है कि जिन सैरातों की बन्दबस्ती वर्ष 2021-22 के लिये अब तक नहीं की जा सकी है उसकी अविलम्ब बन्दोबस्ती हेतु नगर निगम के आयुक्त को सख्त निदेश निर्गत करने की गुहार लगाई है। इसके साथ ही विगत एक अप्रैल से जारी दर्जनाधिक सैरातों की विभागीय वसूली की आड़ में लाखों के सरकारी राजस्व के लूट खसोट की उच्चस्तरीय जांच करा कराने के साथ एक अप्रैल 2021 के बाद उन सैरातों की वसूली से प्राप्त अब तक की राशि तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में उक्त सैरातों से इस अवधि में प्राप्त राशि की तुलनात्मक आधार पर नुकसान का निर्धारण करके इसकी वसूली दोषी कर्मचारी, पदाधिकारी तथा संबंधित वार्ड पार्षद से करने की मांग की गई है। जिलाधिकारी को दिए गए आवेदन की प्रति नगर आयुक्त व विभागीय प्रधान सचिव को भी देकर स्थिति के जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग आवेदक पार्षदगण ने की है।